Adani News। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की नेटवर्थ में पीक लेवल से 60 फीसदी गिरावट आ चुकी है। पिछले एक साल में उन्हें हर हफ्ते करीब 3,000 करोड़ रुपये का फटका लगा है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट 2023 के मुताबिक अडानी की नेटवर्थ अब 53 अरब डॉलर रह गई है। 24 जनवरी को आई हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के कारण अडानी ग्रुप मुश्किल में है। ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है। इससे अडानी की नेटवर्थ में भारी गिरावट आई है। वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में दूसरे नंबर से खिसककर 23वें नंबर पर पहुंच गए हैं। हुरून इंडिया के मुताबिक अडानी की नेटवर्थ में 28 अरब डॉलर की गिरावट आई है और उनके हाथ से भारत के सबसे अमीर शख्स का तमगा छिन गया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी 82 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ भारत के सबसे बड़े रईस हैं।
हुरून इंडिया ने कहा कि गौतम अडानी और उनके परिवार की नेटवर्थ में 35 फीसदी गिरावट आई है। जनवरी में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अडानी परिवार की नेटवर्थ अपने पीक लेवल से 60 फीसदी कम हुई है। अडानी के साथ-साथ अंबानी की नेटवर्थ में भी भारी गिरावट आई है। इस दौरान अडानी ने 28 अरब डॉलर गंवाए हैं और उनकी नेटवर्थ अब 53 अरब डॉलर रह गई है। पिछले एक साल में अडानी की नेटवर्थ में 35 फीसदी गिरावट आई है, जबकि अंबानी की नेटवर्थ 20 फीसदी कम हुई है। अंबानी दुनिया के अमीरों की लिस्ट में नौवें नंबर पर हैं। डीमार्ट के नाम से रिटेल चेन चलाने वाली कंपनी एवेन्यू सुपरमार्ट्स के राधाकिशन दमानी और उनके परिवार की नेटवर्थ में इस दौरान 30 फीसदी गिरावट आई है। उनकी नेटवर्थ अब 16 अरब डॉलर रह गई है और वह दुनिया के टॉप 100 अमीरों की लिस्ट से बाहर हो गए हैं।
कोटक महिंद्रा बैंक के सीईओ उदय कोटक की नेटवर्थ इस दौरान 13 फीसदी गिरावट के साथ 14 अरब डॉलर रह गई है। वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में 135वें स्थान पर हैं। वैक्सीन किंग के नाम से मशहूर सीरम इंस्टीट्यूट के साइरस पूनावाल की वेल्थ पिछले एक साल में चार फीसदी बढ़कर 27 अरब डॉलर पहुंच गई है। हुरून की ग्लोबल लिस्ट में 187 भारतीय बिलिनेयर हैं। यानी इन लोगों के पास 8000 करोड़ रुपये से अधिक नेटवर्थ है। भारत से ज्यादा बिलिनेयर केवल अमेरिका और चीन में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच साल से दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में भारत का योगदान लगातार बढ़ रहा है। अभी इसमें भारत का योगदान आठ प्रतिशत पहुंच गया है जो पांच साल पहले 4.9 फीसदी थी।