standard tax deductions in new tax regime। जब से बजट 2023 की घोषणा हुई है, तब से नई टैक्स रिजीम फायदेमंद है या नुकसान देह इस पर चचाज़् हो रही है। आगामी वित्तीय वर्ष 2023-24 से यह डिफॉल्ट टैक्स सिस्टम बन जाएगा। आसान शब्दों में अगले साल से जब आप टैक्स भरेंगे तो आपको बताना पड़ेगा की आप ओल्ड टैक्स रीजीम में टैक्स देना चाहते हैं या न्यू में, नहीं बताने पर आपका टैक्स बायडिफाल्ट नई टैक्स रिजीम के हिसाब से जमा होगा।
आईये यहां जानते हैं की नई टैक्स रीजीम के 06 TAX Benefits या 06 Tax Deduction के बारे में…
50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन
सरकार ने यूनियन बजट 2023 में 50,000 रुपये स्टैंडडज़् डिडक्शन की इजाजत दी गई है। लेकिन, सभी टैक्सपेयसज़् के लिए यह बेनेफिट उपलब्ध नहीं है। ओल्ड रीजीम की तरह यह बेनेफिट सिर्फ नौकरी करने वाले और पेंशनर्स को उपलब्ध है। बिजनेस करने वाले या सेल्फ-एंप्लॉयड लोग इस बेनेफिट को क्लेम नहीं कर सकते। फैमिली पेंशनर्स को भी यह बेनेफिट उपलब्ध है।
एनपीएस में एप्लॉयर का कंट्रिब्यूशन
यह न्यू और ओल्ड दोनों रीजीम में उपलब्ध है। अगर एंप्लॉयल एनपीएस में एंप्लॉयी की बेसिक सैलरी और डीए का 10 फीसदी तक कंट्रिब्यूशन करता है तो इस पर सेक्शन 80सीसीडी (2) के तहत डिडक्शन मिलता है। विशेषज्ञों का कहना है की एंप्लॉयर का यह कंट्रिब्यूशन हाउस रेंट और दूसरे अलाउन्सेज की तरह टैक्स के दायरे में नहीं आता है। लेकिन, टैक्स-प्रसी कंट्रिब्यूशन की लिमिट तय है। यह लिमिट एक साल में 7.5 लाख रुपये है। टोटल बेनेफिट इस लिमिट के पार कर जाने के बाद एक्सेस अमाउंट को एंप्लॉयी का टैक्सेबल भत्ता माना जाएगा।
ईपीएफ में कंट्रिब्यूशन
आपका एंप्लॉयर (कंपनी) आपके ईपीएफ अकाउंट में आपकी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी कंट्रिब्यूट करता है। यह अमाउंट भी टैक्स के दायरे में नहीं आता है। लेकिन इसमें शतज़् यह है कि आपको एंप्लॉयर की तरफ से मिलने वाला कुल टैक्स-बेनेफिट सालाना 7.5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की मैच्योरिटी पर मिलने वाला अमाउंट टैक्स के दायरे में नहीं आता है। यह बेनेफिट नई और पुरानी दोनों टैक्स रीजीम का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स को मिलता है। लेकिन, इसमें शतज़् यह है कि लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (यूलिप को छोड़) का सालाना प्रीमियम 5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए। यह नियम 1 अप्रैल, 2023 से लागू हो जाएगा। यूलिप के मामले में प्रीमियम की यह सीमा सालाना 2.5 लाख रुपये है। यह नियम 1 फरवरी, 2021 से लागू है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि दोनों ही तरह की पॉलिसी में पॉलिसी होल्डर्स की मौत होने पर नॉमिनी को मिलने वाला पैसा टैक्स के दायरे में नहीं आता है।
रेंटल इनकम पर स्टैंडर्ड डिडक्शन
अगर आपने अपनी प्रॉपटीज़् किराया पर दी है तो उसकी सालाना वैल्यू पर आप 30 फीसदी डिडक्शन का दावा कर सकते हैं। एनुअल वैल्यू का मतलब ग्रास एनुअल वैल्यू (एक्चुअल रेंट या रिजनेबल रेंट) माइनस चुकाया गया म्युनिसिप टैक्स से है।
पीपीएफ या सुकन्य समृद्धि योजना का मैच्योरिटी अमाउंट
आप पीपीएफ या सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश करते हैं तो इसकी मैच्योरिटी पर मिलने वाले अमाउंट पर आपको किसी तरह का टैक्स नहीं चुकाना होगा। हालांकि, अगर आप न्यू टैक्स रीजीम का इस्तेमाल करने जा रहे हैं तो ओल्ड टैक्स रीजीम में 80सी के तहत मिलने वाला 80सी का डिडक्शंस आपको पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि में निवेश करने पर नहीं मिलेगा।