VI वोडाफोन आइडिया की मुश्किलें नहीं हो रही कम


VI टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया की मुश्किलें कम नहीं हो रही है। भारी कर्ज में डूबी इन कंपनियों की मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो और एयरटेल के साथ कंप्टीशन ने कमर तोड़ कर रख दी है। भारत की तीसरी और दुनिया की 11वीं बड़ी टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया पर 2.3 लाख करोड़ रुपये का भारी भरकम कर्ज है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक टेलिकॉम सेक्टर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, बढ़ते कर्ज और जरूरी रकम जुटाने में देरी के कारण वोडाफोन आइडिया अगले कुछ महीने में अपना ऑपरेशन बंद कर सकती है। यह कभी देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी हुआ करती थी। एक जमाने में इसमें टाटा ग्रुप का भी निवेश था। लेकिन आज यह बंद होने के कगार पर पहुंच गई है। कंपनी का शेयर 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर पर आ चुका है।

आदित्य बिड़ला ग्रुप और ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन इंक का जॉइंट वेंचर है वोडाफोन आइडिया। इसकी शुरुआत 1995 में बिड़ला कम्युनिकेशंस लिमिटेड के रूप में हुई थी। उसी साल कंपनी को गुजरात और महाराष्ट्र सर्किल में जीएसएम बेस्ड सर्विसेज के लिए लाइसेंस मिला। 1996 में ग्रासिम इंडस्ट्रीज और अमेरिका की कंपनी एटीएंडटी कॉरपोरेशन ने जॉइंट वेंचर बनाया और इसका नाम बदलकर बिड़ला एटीएंडटी कम्युनिकेशंस लिमिटेड हो गया। 1997 में कंपनी ने गुजरात और महाराष्ट्र सर्किल में अपनी सेवाएं शुरू की। साल 2000 में इसका टाटा सेल्यूलर लिमिटेड में विलय हो गया और अगले साल इसका नाम बदलकर बिड़ला टाटा एटीएंडटी लिमिटेड हो गया। वर्ष 2002 में फिर इसका नाम बदलकर आइडिया सेल्यूलर लिमिटेड हो गया और इसने आइडिया ब्रांड लॉन्च किया। साल 2004 में यह पहली बार प्रॉफिट में आई।

वर्ष 2006 में टाटा ग्रुप ने कंपनी में अपनी पूरी शेयरहोल्डिंग आदित्य बिड़ला ग्रुप को ट्रांसफर कर दी। इस तरह टाटा ग्रुप इस कंपनी से पूरी तरह अलग हो गया। साल 2009 में कंपनी ने पूरे देश में अपनी सर्विस शुरू कर दी। कंपनी का कामकाज सही चल रहा था लेकिन 2016 में एंट्री होती है रिलायंस जियो की। जियो के आने से पहले टेलिकॉम इंडस्ट्री में वोडाफोन, आइडिया और एयरटेल की तूती बोलती थी। लेकिन जियो ने सबकुछ बदल दिया। जियो के लॉन्च होते ही डेटा की कीमत में भारी गिरावट आई। एक समय ऐसा था जब एक जीबी डेटा की कीमत 250 रुपये हुआ करती थी। तब कस्टमर की महीने की डेटा 154 एमबी हुआ करती थी। लेकिन जियो के आने के बाद हाई स्पीड 4जी डेटा की कीमत करीब 13 रुपये प्रति जीबी रह गई है। जियो के आते ही एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया के सब्सक्राइबर्स तेजी से कम हुए। अपने सब्सक्राइबर्स बेस को बचाए रखने के लिए टेलिकॉम कंपनियों के बीच प्राइस वॉर शुरू हो गई। इससे उनका रेवेन्यू और प्रॉफिट बुरी तरह प्रभावित हुआ।

साल 2017 में वोडाफोन और आइडिया आपस में मर्ज हो गए। इससे देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी का जन्म हुआ। लेकिन कंपनी की हालत लगातार पतली होती गई और उसके सब्सक्राइबर्स की संख्या तेजी से कम हुई। जियो और एयरटेल अपनी 5जी सर्विसेज लॉन्च कर चुकी हैं। लेकिन वोडाफोन आइडिया अब तक ऐसा नहीं कर पाई है।31 दिसंबर, 2022 के आंकड़ों के मुताबिक वोडाफोन आइडिया के देश में करीब 23 करोड़ ग्राहक हैं। लेकिन इनमें ज्यादातर ग्राहक 2जी और 3जी वाले हैं। इस कारण कंपनी का एवरेज रेवेन्यू पर यूजर बहुत कम है।

ब्रोकरेज फर्म कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक महंगाई दर के आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर रहने के बीच टेलिकॉम कंपनियां अगले साल आम चुनाव के बाद संभवत: जून 2024 में शुल्क दरें बढ़ाना शुरू करेंगी।