Budget 2023 : बैंकिंग सैक्टर मे बड़े बदलाव की मांग

Budget 2023 : आम बजट 2023 की तैयारियों में सरकार जुटी हुई है. हर खास ओ आम इस बजट की तरफ उम्मीद की नजर से देख रहा है. बैंकिंग सेक्टर को भी इस बजट उम्मीदे हैं. इस बीच, एसबीआई (SBI) के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार ने पब्लिक सेक्टर की इकाइयों के प्रदर्शन और इकोनॉमी में उनके योगदान में सुधार के लिए उन्हें ज्यादा स्वायत्तता और प्रोफेशनल होने की वकालत की है। एक प्रतिष्ठित वित्तीय वैबसाइट मनीकंट्रोल से बातचीत में रजनीश कुमार ने यह बात कही।

श्री कुमार के बयान की इसलिए भी खासी अहमियत है, क्योंकि विशेषकर पब्लिक सेक्टर के बैंकों की स्वायत्तता और कुछ सरकारी बैंकों के निजीकरण पर लंबे समय से बहस चल रही है। रजनीश कुमार ने अक्टूबर 2017 और अक्टूबर 2020 के बीच एसेट्स के लिहाज से भारत के सबसे बड़े बैंक में चेयरमैन के रूप में सेवाएं दी हैं।

गौरतलब है की भारत में 12 सरकारी बैंक हैं। सरकार ने 2019 में एक मेगा मर्जर प्लान का ऐलान किया और यह अप्रैल 2021 से प्रभावी हो गया। मर्जर से पहले सरकारी बैंकों की संख्या 21 थी। वहीं, ट्रेड यूनियंस के विरोध के चलते सरकारी बैंकों के निजीकरण की योजना को टाल दिया गया था।

आम Budget से Banking सेक्टर की उम्मीदें

बैंकिंग सेक्टर के लिए बजट 2023 में कुछ खास होने की संभावना कम है। क्योंकि  वित्त वर्ष 16 से वित्त वर्ष 21 के बीच सरकार ने पीएसबी में 3.3 लाख करोड़ रुपये लगाए हैं। सरकारी बैंकों का एनपीए 31 मार्च, 2022 को छह साल के निचले स्तर 7.6 फीसदी पर आ गया। उम्मीद की जा रही है की वित्त मंत्री फाइनेंशिल इनक्लूजन को बढ़ावा देने और पीएसबी की परिचालन दक्षता में सुधार के लिए कोई ऐलान कर सकती हैं।

कृषि और बिजली क्षेत्रों के लिए रिफॉर्म्स का इंतजार

कुमार ने कहा, कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ना अहम है। बजट में दूसरे क्षेत्रों पर जोर दिए जाने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि नई टेक्नोलॉजी के अपनाने और जरूरी क्रेडिट उपलब्ध कराए जाने से कृषि क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ रही है। कुमार ने कहा कि वितरण कंपनियों की सेहत दुरुस्त करने के लिए बिजली क्षेत्र में खासे सुधारों की जरूरत है। अन्यथा यह सेक्टर देश की ग्रोथ स्टोरी में बड़ी बाधा बन सकता है। बहुप्रतीक्षित Electricity (Amendment) Bill 2022 फिलहाल संसद की स्थायी समिति के पास है और इसे विपक्षी दलों के सांसदों की तरफ से विरोध का सामना करना पड़ा है। इसलिए, इस सेक्टर के लिए कोई बड़े बदलाव का ऐलान होने की संभावना कम है।

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