अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ग्लोबल ग्रोथ में भारत की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत रहने की संभावना है। दक्षिण एशियाई देशों के संवाददाताओं के साथ एक गोलमेज वार्ता में आईएमएफ में एशिया एवं प्रशांत विभाग के डायरेक्टर कृष्ण श्रीनिवासन ने कहा कि वर्ष 2023 में ग्लोबल ग्रोथ में भारत और चीन का अंशदान 50 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
वाशिंगटन के बहुपक्षीय कर्जदाता ने अनुमान लगाया है कि भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर वित्त वर्ष 24 में 6.1 प्रतिशत रहेगी। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक ने वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। भारत की वृद्धि के हिसाब से आने वाली चुनौतियों के बारे में पूछे गए सवाल के जबाव में आईएमएफ के निदेशक ने कहा कि शेष दुनिया से बेहतर प्रदर्शन के बावजूद महंगाई दर मुख्य चुनौती बनी रहेगी। महंगाई चिंता का विषय है। जब प्रमुख महंगाई अधिक बनी रहेगी, ब्याज दरें ज्यादा रहेंगी। ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था में घरेलू मांग प्रमुख चुनौती बनी रहेगी, क्योंकि यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के कारण बाहरी माहौल सुस्त है।
08 फरवरी को बढ़ी थी रेपो रेट
रिजर्व बैंक ने 8 फरवरी को रेपो रेट 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था। कुल मिलाकर रेपो रेट में 250 आधार अंक बढ़ोतरी के बावजूद जनवरी में खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय महंगाई दर की ऊपरी सीमा 6 प्रतिशत से ऊपर पहुंचकर 6.52 प्रतिशत पर चली गई। इसकी वजह से विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले महीनों में दरों में और बढ़ोतरी होगी। श्रीनिवासन ने कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा विनिमय दर में हस्तक्षेप किए जाने से मुद्रा में गिरावट को रोकने में मदद मिलती है लेकिन बाजार को अपने मुताबिक चलने को अनुमति देने की जरूरत है। सामान्य रूप से देखें तो इस हस्तक्षेप से मदद मिलती है। इसके बजाय आप विनिनमय दर को अपने मुताबिक चलने देने और समायोजित होने दे सकते हैं।