Loan recovery ke niyam kya hain. Loan recovery kaise hoti hai. loan nahi chukane pr kya hoga. emi nhi dene per kya hoga. बैंक ईएमआई नहीं चुकाने पर, लोन डिफाल्ट होने पर बैंक क्या कर सकते हैं और क्या नहीं. यह सवाल इन दिनों में बहुत अधिक पूछा जा रहा है. सोशल मीडिया पर ऐसी खबरें, वीडिया, आडियो लगातर वायरल होते दिखाई दे रहे हैं जहां लोन रिकवरी के नाम पर लोगों धमकाया जा रहा है. घर जाकर गुंडागर्दी की जा रही है. बेईज्जत करने से लेकर तोड़फोड़ और मारपीट तक करने की घटना सामने आ रही है. जिसके चलते आम आदमी के मन में सवाल है की किसी कारण वश यदि ईएमआई न चुकाने पर या लोन नहीं चुकाने पर बैंक क्या कर सकते हैं और क्या नहीं. लोन डिफाल्ट की परिस्थिति में लोन देने वाले के क्या अधिकार हैं और लोन डिफाल्ट होने वाले व्यक्ति के क्या अधिकार हैं. यहां हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे.
बैंक धमकी या जबरदस्ती नहीं कर सकते| kya bank apko dhamkane ka adhikar rkhte hain
डराना, धमकाना, मारपीट करना यह काम कोई भी बैंक या वित्तीय संस्था किसी भी परिस्थिति में नहीं कर सकता. यदि कोई ऐसा करता है तो यह अपराध की श्रेणी में आएगा. जिसकी शिकायत पीड़ित, पुलिस थाने में कर सकता है. लोन रिकवरी के लिये बैंक रिकवरी एजेंट की सेवाएं ले सकता है। लेकिन ये एजेंट भी अपनी सीमा को पार नहीं कर सकते।
रात में घर नहीं आ सकते एजेन्ट| loan wasoli ke lie agent ghar aa sakte hai
बैंक का रिकवरी एजेन्ट किसी भी समय ग्राहकों के घर नहीं जा सकता है. एजेंट केवल सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ग्राहकों के घर जा सकते हैं। वहीं अगर एजेंट, घर पर दुव्र्यवहार करता है, तो ग्राहक इसकी रिपोर्ट बैंक को कर सकता है। यदि बैंक नहीं सुनता है तो ग्राहक बैंकिंग लोकपाल से भी संपर्क कर सकता है।
लोन नहीं चुकाने पर कब बिकती है संपत्ति
जिन लोन को लेने से पहले कोई संपत्ति या अन्य वस्तु बैंक के पास गिरवी रखी गई थी. बैंक ऋण वसूली के लिये उन संपत्ति को कानूनी रूप से जब्त करने का अधिकार रखता है. लेकिन ऐसा करने से पहले बैंक को पूरी एक प्रक्रिया का पालन करना होगा. ग्राहक को पर्याप्त समय एवं नोटिस दिये बिना बैंक को ऐसा करने का अधिकार नहीं हैं.
60 दिन का नोटिस जारी करेगा बैंक
उधारकर्ता को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जब वह 90 दिनों के लिए बैंक किस्त का भुगतान नहीं करता है। ऐसे मामलों में, ऋणदाता को चूककर्ता को 60 दिन का नोटिस जारी करना चाहिए।
60 दिनों का सर्वजनिक नोटिस
यदि उधारकर्ता नोटिस अवधि के भीतर भुगतान करने में विफल रहता है, तो बैंक संपत्ति बेचने के लिए आगे बढ़ सकता है। हालांकि, संपत्ति की बिक्री के लिए बैंक को ३० दिनों का एक और सार्वजनिक नोटिस जारी करना होगा। उसे बिक्री का ब्योरा देना होगा।
अतिरिक्त राशि प्राप्त करने अधिकार
संपत्ति का उचित मूल्य प्राप्त करने का अधिकार संपत्ति की बिक्री से पहले बैंक/वित्तीय संस्था को संपत्ति का उचित मूल्य बताते हुए एक नोटिस जारी करना होता है। इसमें आरक्षित मूल्य, नीलामी की तारीख और समय का भी उल्लेख करना होगा।
ऋण एकत्र होने के बाद, लेनदार अतिरिक्त राशि प्राप्त करने का हकदार है। अगर आप इसके लिए बैंक में अप्लाई करते हैं तो आपको इसे बैंक को वापस करना होगा।
लोन लेने वाले की मौत होने पर क्या परिजनों से वसूला जा सकता है लोन
लोन लेने वाले की मृत्यू होने पर क्या उसके परिजनों, वारिसों से लोन वसूला जा सकता है. यह भी एक बड़ा सवाल है, जो लोगों के मन में होता है. इसका जवाब इस बात पर निर्भर है की लोन सिक्योर्ड कैटेगरी का है, या अनसिक्योर्ड कैटेगरी का.
पर्सनल लोन
पर्सनल लोन को अनसिक्योर्ड लोन की कैटेगरी में रखा जाता है. इसमें यदि पर्सनल लोन लेने वाले की मौत हो जाए, तो बकाया वसूलने के लिए परिवार के किसी सदस्य को परेशान नहीं किया जा सकता. न ही उत्तकराधिकारी या कानूनी वारिस को लोन चुकाने कहा जा सकता है.
यहां यह समझने की जरूरत है की पर्सनल लोन, व्यक्ति अपनी पर्सनल इंकम के बेस पर लेता है. ऐसे में उस व्यक्ति की मौत होने के बाद इस लोन को बट्टा खाते में डाल दिया जाता है। व्यक्ति की मौत के साथ उसका लोन भी समाप्त हो जाता है।
होम लोन
होम लोन के मामले में उलट है. होम लोन की एवज में लोने लेने वाला अपने घर के कागज या उस लोन की कीमत के बराबर किसी प्रॉपर्टी के पेपर्स गिरवी रखने पड़ते हैं. ऐसे में जब लोन लेने वाले की मौत होती है. तो लोन का बकाया भुगतान करने की जिम्मेदारी लोन के को-एप्लीकेंट की आती है. जो आमतौर पर परिवार का ही सदस्य होता है. यदि वो लोन चुकाने में असमर्थता बताता है, तो अगली प्रक्रिया शुरु होती है. पहले आप्शन में सदस्य को ही वो संपत्ति बेचकर लोन चुकाने कहा जाता है. यदि परिवार ऐसा नहीं करता तो बैंक उसकी गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी को नीलाम करके बकाया पैसा वसूल लेता है.
इस स्थिति से कैसे बचें
हालांकी ऐसी स्थिति से बचने के लिये अब होम लोन इंश्योरेंस का विकल्प भी उपलब्ध है. जिसमें लोन लेने वाले की मौत होने पर बैंक, बीमा कंपनी से बकाया लोन वसूल लेता है. घर, परिवार वालों के पास सुरक्षित रहता है.
वाहन लोन
कार लोन, ऑटो लोन या किसी अन्य तरह के वाहन के लिए आप जो लोन लेते हैं, उसे भी सिक्योर्ड लोन ही माना जाता है. यदि लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाए, तो उस लोन की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए उसके परिवार से कहा जाता है. अगर परिवार असमर्थ हो तो उस वाहन को बैंक अपने कब्जे में ले लेता है और उसे बेचकर या नीलाम करके बकाया पैसों की वसूली की जाती है.
loan recovery se jude sawal aur unke jawab
क्या बैंक धमकी या जबरदस्ती सकते हैं?
डराना, धमकाना, मारपीट करना यह काम कोई भी बैंक या वित्तीय संस्था किसी भी परिस्थिति में नहीं कर सकता. यदि कोई ऐसा करता है तो यह अपराध की श्रेणी में आएगा.
लोन वसूली के लिए एजेंट घर आ सकता है?
एजेंट केवल सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ग्राहकों के घर जा सकते हैं। वहीं अगर एजेंट, घर पर दुव्र्यवहार करता है, तो ग्राहक इसकी रिपोर्ट कर सकता है।
पर्सनल लोन लेने वाले की मौत होने पर क्या परिजनों को चुकाना पड़ता है?
पर्सनल लोन लोन लेने वाले की मौत के बात खत्म हो जाता है। इसे चुकाने के लिए परिजनो को नहीं कहा जा सकता।